The mission of The Revolution is to enlarge and enrich our platforms and portfolios for Society's Upliftment & Economic Development of individuals.
Lokmanya Balgangadhar Tilak This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

Lokmanya Balgangadhar Tilak

मराठी का एक कथन, जिसने आजादी के भारतीय संग्राम को और बुलंद कर दिया था- "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा!" केशव गंगाधर तिलक, जिन्हें अक्सर बाल गंगाधर तिलक कहा जाता है। ये उन्हीं का नारा था। एक पत्रकार, शिक्षक और खासकर लाल बाल पाल तिकड़ी बनाने वाले, तीन लोगों में से एक थे- बाल गंगाधर तिलक। उनका जन्म, 23 जुलाई 1856 को बॉम्बे प्रेसीडेंसी के रत्नागिरी में हुआ था। यानी आज जो महाराष्ट्र है। वो एक मराठी ब्राह्मण परिवार से थे। पिता का नाम श्री गंगाधर तिलक और माता पार्वती बाई गंगाधर थीं। 1871 में, उनके पिता चल बसे। पिता के निधन से कुछ समय पहले ही, उनकी शादी सत्यभामा से हो गई थी। उस समय उनकी उम्र करीब 16 साल थी। बाल गंगाधर तिलक के 3 बच्चे थे।

Lokmanya Balgangadhar Tilak This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani
Lokmanya Balgangadhar Tilak This Post Design By The Revolution Deshbhakt Hindustani

उन्होंने 1877 में पुणे के डेक्कन कॉलेज से आर्ट्स में ग्रेजुएशन की। उसके बाद, एमए की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और एलएलबी करने लगे। इसके बाद उन्होंने, एक निजी स्कूल में गणित पढ़ाना शुरू किया। लेकिन कुछ समय बाद, ये नौकरी छोड़ दी और पत्रकार बन गए। 1884 में उन्होंने डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी बनाई। और उससे अगले साल, इसी सोसायटी ने, पोस्ट-सेकेंडरी स्टडीज के लिए फर्ग्यूसन कॉलेज की स्थापना की। इनके राजनीति करियर की बात करें, तो 1890 में वो, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए। लेकिन 1907 में कांग्रेस गरम और नरम दल में बंट गई। और बाल गंगाधर तिलक गरम दल के नेता बने। बहिष्कार और स्वदेशी आंदोलन चलाने के साथ-साथ, उन्होंने कई लीडर्स के साथ मिलकर, 1916 में ऑल इंडिया होम रूल लीग की स्थापना की। एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक और एक स्वतंत्रता सेनानी। जिन्हें ब्रिटिश भी, "भारतीय अशांति का जनक" कहते थे। महात्मा गांधी जी ने उन्हें "आधुनिक भारत का निर्माता" कहा था। आज हम, गणेश चतुर्थी और शिवाजी जयंती मनाते हैं, लेकिन इसे मनाने का सुझाव भी, लोकमान्य तिलक जी ने दिया था। 1 अगस्त 1920 को, वो पंचतत्व में विलीन हो गए। आज उनकी जयंती के मौके पर, द रेवोल्यूशन - देशभक्त हिंदुस्तानी, पूरे भारतवर्ष की ओर से, उनके योगदान को सलाम करता है।